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Monday 15 October 2012

हाईकोर्ट के आदेश पर भी सक्रिय नहीं हुई पुलिस


साध्वी चिदर्पिता प्रकरण की विवेचना पूर्ण करने में पुलिस के पास कुछ ही घंटे शेष बचे हैं, लेकिन पुलिस एफआईआर से आगे अभी तक कुछ नहीं कर पाई है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट का कड़ा आदेश होने के कारण पुलिस भी फंस सकती है।
घटना का खुलासा एक वर्ष पूर्व हुआ था। पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम शाहजहाँपुर के अधिष्ठाता चिन्मयानंद के विरुद्ध मुमुक्षु आश्रम की प्रबन्धक एवं उनकी शिष्या साध्वी चिदर्पिता ने 30 नवंबर 2011 को शाहजहाँपुर की कोतवाली में सन्यास देने के नाम पर बहलाने-फुसलाने, बंधक बनाने, लंबे समय तक बलात्कार करने, गुलामी कराने के साथ जान से मारने का प्रयास करने की प्रमुख धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था। मुकदमे की विवेचना शाहजहाँपुर सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर को ही दी गई, लेकिन पुलिस ने विवेचना में खास रुचि नहीं दिखाई, जिसका सीधा लाभ आरोपी चिन्मयानंद को मिला। गवाह और सुबूत के अभाव में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने में कामयाब हो गया। इसके बाद पीड़ित साध्वी ने शाहजहाँपुर कोर्ट में जाकर सीजेएम के समक्ष अपने धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराये। शाहजहाँपुर सदर कोतवाली पुलिस ने विवेचना में फिर भी कोई रुचि नहीं दिखाई, तो पीड़ित साध्वी के कहने पर एसपी शाहजहाँपुर ने विवेचना जलालाबाद के इंस्पेक्टर को दे दी, तभी विधान सभा चुनाव आ गए और जलालाबाद इंस्पेक्टर ने व्यस्तता का बहाना कर विवेचना पुनः लटका दी। चुनाव बाद तबादलों की आंधी में जलालाबाद इंस्पेक्टर थामा बह गए, तो विवेचना में प्रभारी ने भी कुछ नहीं किया। पीड़ित साध्वी ने जुलाई माह में डीआईजी बरेली से विवेचना में तेजी लाने और शाहजहाँपुर पुलिस के अलावा किसी अन्य जिले की पुलिस से विवेचना कराने की मांग की, जिस पर डीआईजी एंटनी देवकुमार ने विवेचना बदायूं जनपद की पुलिस के हवाले कर दी। बदायूं की एसएसपी मंजिल सैनी ने एसआईएस को विवेचना सौंप दी। तीन दिन बाद ही विवेचनाधिकारी सीओ सिटी को बना दिया गया। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाजहांपुर के सीजेएम की देखरेख में तीन महीने में विवेचना पूरी करने के कड़े आदेश पारित कर दिये। हाईकोर्ट का आदेश संज्ञान में आते ही सीओ सिटी ने विवेचना करने में असमर्थता जता दी, तो एसएसपी ने सहसवान के सीओ को विवेचना दे दी। सहसवान सीओ आरोपी चिन्मयानंद से मिल गए, जिसकी शिकायत पीड़ित साध्वी चिदर्पिता ने एसएसपी से कर दी, जिस पर एसएसपी ने बिसौली सर्किल के सीओ को विवेचना पूरी करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। कल 16 अक्तूबर को हाईकोर्ट द्वारा दिये गए समय की सीमा पूरी हो रही है, लेकिन पुलिस अभी तक एक भी गवाह व सुबूत नहीं जुटा पाई है। पुलिस की कार्यप्रणाली से साफ है कि आरोपी का किसी न किसी रूप में विवेचनाधिकारी पर दबाव रहता है, तभी इतना समय व्यतीत हो जाने के बाद भी मुख्य आरोपी के सहयोगियों तक को नहीं पकड़ पाई है और न ही घटना स्थल से जरूरी चीजों को बरामद करने का प्रयास किया गया है। पुलिस को ऐसे ही तमाम सवालों के कोर्ट के सामने उत्तर देना आसान नहीं होगा। फिलहाल इतना तय है कि विवेचना कल तक पूरी नहीं हो पाएगी। विवेचनाधिकारी सीओ बिसौली एमएस राणा का भी यही मानना है, लेकिन देखने की खास बात अब यह है कि पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट अपना निर्णय क्या देता है?

 
ध्यान देने की बात यह भी है कि साध्वी चिदर्पिता बदायूं निवासी बीपी गौतम से विवाह कर चुकी हैं, साथ ही दो महीने पहले इन दोनों के बीच भी विवाद हो गया था। साध्वी ने बदायूं के थाना सिविल लाइन में अपने पति गौतम के विरुद्ध दहेज को लेकर मारपीट करने का मुकदमा लिखाया था, जो परामर्श केंद्र के हवाले कर दिया गया है। मीडिया के माध्यम से दोनों में समझौता होने की खबरें प्रकाश में आ चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोर्ट के समक्ष समझौते की बात नहीं आई है। उधर इस दंपति के बीच हुये विवाद को चिन्मयानंद ने अपने तरीके से प्रचारित कराया और यह अफवाह फैला दी कि साध्वी उसी की पास आ गईं हैं। यह अफवाह फैला कर वह अपने ऊपर लगे मुकदमे में एफआर लगवाने की कोशिश कर रहा था, जिसमें उसे अभी तक सफलता नहीं मिली है।