My photo
मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Friday 2 December 2011

एक बच्चे का पिता भी है कथित स्वामी चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल

बहुत कम लोग जानते हैं कि कथित स्वामी चिन्मयानंद संयोग से गेरूआ वस्त्र धारण किये हुए है और प्रकृति से ही चरित्रहीन है। वकौल साध्वी 3 मार्च 1947 को जन्मे कृष्ण पाल सिंह उर्फ कथित स्वामी चिन्मयानंद चौदह-पन्द्रह साल की ही उम्र में रिश्ते की एक सगी बहन से अश्लील हरकतें करते हुए पकड़ा गया था, जिस पर परिजनों ने पिटाई लगाई तो शर्म के चलते भाग गया। अचानक घर से भागने और जेब खाली होने के कारण फुटपाथों पर किसी तरह जिंदगी गुजार रहा था, तभी वृन्दावन के संतों के संपर्क में आ गया, यहाँ आकर नाम कृष्णानंद रख लिया...यहाँ इसे गुरु के कपड़े धोने का काम मिला जो बहुत अखरा तो वहाँ से भागकर हरिद्वार आ गया और परमार्थ आश्रम की गौशाला में रहने लगा...स्वामी धर्मानंद सरस्वती  जी महाराज की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद परमार्थ आश्रम की श्रृंखलाओं का मालिक बन बैठा, पर सालों तक परिजनों को कुछ नहीं बताया। गेरूआ वस्त्र धारण करने के बाद मिले अपार सम्मान और अपार धन के बाद कृष्ण पाल सिंह की अश्लील हरकत को परिजनों ने भुला दिया। संत होते हुए वर्तमान में एक भतीजा मुमुक्षु आश्रम में ही नियुक्त है और वेतन लेते हुए जिंदगी की मौज ले रहा है, इसी तरह रिश्ते की दो पोतियां हरिद्वार स्थित आश्रम में रह कर इस कथित संत के वैभव का सुख भोग रही हैं।
सभी जानते हैं कि शुरू से ही मुमुक्षु आश्रम में लड़कियां रहती रही हैं, पर वर्षों पहले सुनीता (काल्पनिक नाम) नाम की एक लडक़ी को मुमुक्षु आश्रम में रखा गया, जिसके साथ भी इस कथित स्वामी के अवैध संबंध थे। वह गर्भवती रह गयी, तो उसका आनन-फानन में कथित स्वामी चिन्मयानंद ने एक गरीब घर के ब्राह्मण लडक़े से विवाह करा दिया। शादी के बाद वही बच्चा पैदा भी हुआ, जिसे कथित स्वामी का ही बताया जाता है, जिसका खुलासा डीएनए टेस्ट में हो सकता है। कथित स्वामी ने प्रेमिका के पति को दबाये रखने के लिए पूरे परिवार को अपने परमार्थ श्रृंखला से जुड़े कनखल स्थित आश्रम में रख दिया है, जिनका पूरा खर्च उठाने के साथ प्रेमिका के पति को कनखल आश्रम का आचार्य भी बना रखा है और इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि उसे मुमुक्षु आश्रम स्थित संस्कृत विद्यालय में नौकरी भी दे रखी है, जो प्रति माह घर बैठे वेतन लेता है। ऐसे भ्रष्ट चिन्मयानंद के पक्ष में बोलने वालों को क्या कहा जाये? यह निर्णय भी जनता पर ही छोड़ा।